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Gurukul education campaign conducted by the Institute building was established 19 April 2001, which was driven to school in the early fifth of 35 children was started, the school building operated to 7 years old to rent the house and school August 8, 2008 opening of the new premises locked and after school in the 2011-12 season and has been recognized by the Department of secondary education of Rajasthan board of secondary education has granted approval of Sbddhta, school board for the Seven year in a row, 100 percent of the test results both the English and Hindi medium school is currently placed in the pre-primary class in which about 500 young girls are studying is the tenth.
The purpose of school is to round development of rural and urban children. And a child in the age of the contest to come forward with a good education, mental and intellectual development is required. Under this function, sports contests are held periodically.
School by the end of the early Morning Prayer meeting in which a child monitors, extra classes for weak children, rites, GK; Checking personal Beg, Yoga is offered. In practical everyday life of children and seniors with little how it should treat oral exercises are provided.
गुरुकुल शिक्षा प्रचार संस्थान द्वारा संचालित गुरुकुल विद्या भवन की स्थापना 19 अप्रैल 2001 को हुई, विद्यालय को प्रारम्भ पाँचवी तक संचालित किया गया जिसमे लगभग 35 बालको से प्रारम्भ किया गया और विद्यालय भवन 7 वर्ष तक किराया के भवन मे संचालित रहा तथा विद्यालय के नवीन परिसर का उद्घाटन 8 अगस्त 2008 को हुवा तथा इसके बाद सत्र 2011-12 मे विद्यालय को माध्यमिक शिक्षा विभाग की मान्यता प्राप्त हुई एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान से सबद्धता की भी स्वीकृती प्रदान हुई, विद्यालय ने लगातार वर्ष बोर्ड का परीक्षा परिणाम 100 प्रतिशत रखा वर्तमान मे विद्यालय इंग्लिश एवं हिन्दी दोनो माध्यम मे है जिसमे कक्षा प्री प्राइमरी से दसवी लगभग 500 बालक बालिकाएँ अध्ययन कर रहे है|
विद्यालय का उद्देश्य ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के बालको का सर्वागीण विकास करना है तथा एक बालक को इस प्रतियोगिता के युग में आगे आने के लिए एक अच्छी शिक्षा के साथ साथ मानसिक एवं बौद्धिक विकास भी होना आवश्यक है। इसके तहत समय समय पर फंक्शन स्पोर्ट्स प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
विद्यालय प्रारम्भ से लेकर अंत तक एक एक बालक पर नजर रखता है जिसमे सुबह प्रार्थना सभा, कमजोर बालको के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का आयोजन, संस्कार, जी.के.; व्यक्तिगत बेग चेकिंग, योगा कराया जाता है। तथा बालको के प्रतिदिन व्यावारिक जीवन में छोटे बड़ो के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए इसके बारे में मौखिक अभ्यास करवाया जाता है